अनुलोम-विलोम प्राणायाम के फायदे : अगर आप तनाव से परेशान है, तो हर रोजाना करें अनुलोम-विलोम प्राणायाम, आइए जानें इसे करने का सही तरीका
Anulom Vilom :
दोस्तों अनुलोम-विलोम एक ऐसा प्राणायाम है, जिसे करना काफी आसान होता है। और बावजूद इसके कई लोग इसे गलत तरीके से करते हैं एवं उन्हें इसका पता ही नहीं होता। और ऐसे में अनुलोम-विलोम करने का फायदा नहीं मिल पाता। एवं इसी बात को ध्यान में रखते हुए हम यहां अनुलोम विलोम प्राणायाम की विधि बता रहे हैं। और यहां अनुलोम विलोम के फायदे एवं नुकसान की जानकारी भी मौजूद है। साथ ही अनुलोम विलोम प्राणायाम से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण टिप्स बताए गए हैं।अनुलोम विलोम प्राणायाम क्या होता है –What is Anulom Vilom
दोस्तों अनुलोम-विलोम एक तरह का प्राणायाम है, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण श्वसन क्रिया को माना जाता है। और इस प्राणायाम को प्राचीन समय से किया जा रहा है। एवं कहा जाता है कि भारतीय ऋषि स्वयं को निरोग रखने के लिए इस प्रकार की योग क्रियाओं का अभ्यास किया करते थे। और अनुलोम-विलोम को अंग्रेजी में अल्टरनेट नॉस्ट्रिल ब्रीथिंग एक्सरसाइज भी कहते हैं, जिसमें नाक के एक छिद्र से गहरी सांस लेना एवं फिर दूसरे छिद्र से धीरे-धीरे सांस छोड़ना होता है
अनुलोम विलोम प्राणायाम करने का तरीका – Anulom Vilom Steps
आपके मन में सवाल है कि अनुलोम विलोम कैसे करें, तो सबसे पहले दिन के किसी निश्चित पहर का चुनाव करना होगा। और सुबह का वक्त योगाभ्यास करने का आदर्श समय माना जाता है। एवं सुबह की ताजी हवा में अनुलोम-विलोम ज्यादा कारगर साबित हो सकता है। आप चाहें तो शाम के वक्त भी प्राणायाम का अभ्यास कर सकते हैं। और अब नीचे क्रमबद्ध अनुलोम-विलोम करने का तरीका जानिए।
1. आप किसी साफ जगह का चुनाव करें एवं वहां योग मैट या कोई साफ चादर बिछाएं।
2. दोस्तों ध्यान रहे कि अनुलोम-विलोम के लिए दाएं हाथ के अंगूठे एवं दाएं हाथ की मध्य उंगली को ही काम में लाया जाएगा।
3. आप अब पद्मासन की मुद्रा में बैठना होगा या बाएं पैर के पंजे को अपने दाईं जांघ पर एवं दाएं पैर के पंजे को बाईं जांघ पर रखें।
4. अब पद्मासन की मुद्रा में जो नहीं बैठ सकते, वो सुखासन मुद्रा में बैठ सकते हैं।
5. इसके बाद किसी के लिए जमीन पर बैठना मुश्किल है, तो कुर्सी पर बैठ सकते हैं।
6. आप कमर सीधी रखें एवं अपनी दोनों आंखें बंद कर लें।
7. एक लंबी गहरी सांस लें एवं धीरे से छोड़ दें। और इसके बाद खुद को एकाग्र करने की कोशिश करें।
8. अब इसके बाद अपने दाहिने हाथ के अंगूठे से अपनी दाहिनी नासिका को बंद करें एवं बाईं नासिका से धीरे-धीरे गहरी सांस लें।
9. अब सांस लेने में जोर ना लगाएं, जितना हो सके उतनी गहरी सांस लें।
10. दाहिने हाथ की मध्य उंगली से बाईं नासिका को बंद करें एवं दाईं नासिका से अंगूठे को हटाते हुए धीरे-धीरे सांस छोड़ें।
11. अब सेकंड का विराम लेकर दाईं नासिका से गहरी सांस लें।
12. इसके बाद दाहिने अंगूठे से दाहिनी नासिका को बंद करें एवं बाईं नासिका से दाहिनी हाथ की मध्य उंगली को हटाकर धीरे-धीरे सांस छोड़ें।
13. अब इस प्रकार अनोम-विलोम प्राणायाम का एक चक्र पूरा हो जाएगा।
14. आप एक बार में ऐसे पांच से सात चक्र कर सकते हैं।
15. और इस प्रक्रिया को रोज करीब 10 मिनट कर सकते हैं।
निष्कर्ष :
दिए गए लेख में बताया गया है कि अनुलोम-विलोम प्राणायाम के फायदे क्या होते हैं लेकिन ये सिर्फ एक सुझाव है हम इनकी पुष्टि नहीं करते हैं ज्यादा जानकारी के लिए योगा एक्सपर्ट से परामर्श लें।
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