मोतियाबिंद (cataracts) : जानें कुछ घरेलू उपाय जो मोतियाबिंद की परेशानी कर सकते हैं कम

मोतियाबिंद (cataracts ) :

दोस्तों मोतियाबिंद आंख संबंधी रोग है, और जिसमें आंख का ऊपरी लेंस धुंधला पड़ जाता है एवं परिणामस्वरूप दृष्टि संबंधी समस्याएं होने लग जाती है। और मोतियाबिंद से अक्सर स्वास्थ्य को कोई नुकसान नहीं होता है एवं इलाज की मदद से मोतियाबिंद के लक्षणों को खत्म किया जा सकता है।
    मोतियाबिंद

    मोतियाबिंद क्या है

    दोस्तों आंख का क्रिस्टलीय लेंस पूरी तरह से साफ और पारदर्शी होती है, एवं जिसकी मदद से रेटिना पर सीधा प्रकाश पड़ता है एवं आप चीजों को स्पष्ट रूप से देख पाते हैं। लेकिन कुछ स्थितियों में लेंस धुंधला पड़ जाता है, व जिस कारण से रोशनी सीधी रेटिना तक नहीं पहुंच पाती है एवं हमें धुंधला दिखने लगता है। और इस स्थिति को मोतियाबिंद के नाम से भी जाना जाता है। व मोतियाबिंद अक्सर शुरुआती चरणों में कोई गंभीर समस्या पैदा नहीं करता है, क्योंकि इसमें लेंस का छोटा सा हिस्सा प्रभावित होता है। और हालांकि, जब धीरे-धीरे मोतियाबिंद गंभीर चरणों में आता है, तो धुंधलापन लेंस के अधिक हिस्सों में भी फैल जाता है एवं मरीजों को चीजें देखने में परेशानी होने लगती है। तथा मोतियाबिंद आमतौर पर दोनों आंखों को प्रभावित करता है, एवं हालांकि, यह एक आंख से दूसरी आंख में नहीं फैलता। और कुछ लोगों में मोतियाबिंद धीरे-धीरे गंभीर चरणों में भी आता है, और जबकि अन्य लोगों को यह तीव्रता से भी प्रभावित करता है।

    मोतियाबिंद के प्रकार

    दोस्तों मोतियाबिंद के प्रमुख रूप से तीन प्रकार हैं -

    1. कोर्टिकल कैटरैक्ट्स - 

    दोस्तों इस स्थिति में रोशनी से चमक ज्यादा लगने लगती है तथा साथ ही मरीज की प्रकाश सहन करने की क्षमता कम हो जाती है। व उदाहरण के लिए रात को गाड़ी चलाते समय सामने वाली गाड़ियों की लाइट के कारण कुछ नही देख पाना।


    2. पोस्टीरियर सबकैप्सूलर कैटरैक्ट्स - 

    दोस्तों यह अक्सर कम उम्र के लोगों को होता है एवं यह तेजी से बढ़ता है

    3. न्यूक्लियर कैटरैक्ट्स - 

     दोस्तों मोतियाबिंद के इस प्रकार में मरीज की दूर की चीजें देखने की क्षमता भी प्रभावित हो जाती है। और न्यूक्लियर कैटरैक्ट्स धीरे-धीरे बढ़ता है

    मोतियाबिंद के लक्षण

    दोस्तों मोतियाबिंद के दौरान विकसित होने वाले सबसे आम लक्षणों में निम्न शामिल हैं -
    1. धुंधला सा दिखना
    2. रंग का दिखना
    3. रात को देखने में कठिनाई होना
    4.चश्मे का नंबर बढ़ना
    5. दोहरी दृष्टि हो जाना
    6. वस्तुओं की आकृति सही नहीं दिखाई पड़ना
    7. रोशनी से ज्यादा चमक लगना
    8. ऐसा लगना जैसे चश्मे का लेंस गंदा हो गया है

    दोस्तों मोतियाबिंद के कारण दृष्टि की क्षति बहुत धीरे-धीरे होती है एवं समय के साथ-साथ ही धुंधलापन व रंगों में फीकापन दिखने लगता है। तथा मोतियाबिंद के मरीजों को आमतौर पर रात को गाड़ी चलाने में दिक्कत होने लगती है। और हालांकि, मोतियाबिंद के कारण दृष्टि में क्षति की गंभीरता हर मरीज के अनुसार अलग-अलग हो सकती है। 

    डॉक्टर को कब दिखाएं 

    दोस्तों यदि मरीज को उपरोक्त में से कोई लक्षण होने लगा है अथवा फिर किसी अन्य कारण से उन्हें लगता है कि वे मोतियाबिंद से ग्रस्त हो सकते हैं तो उनको जल्द से जल्द नेत्र-विशेषज्ञ से संपर्क कर परामर्श लेना चाहिए


    मोतियाबिंद की रोकथाम

    दोस्तों निम्न बातों का ध्यान रखकर आंख में मोतियाबिंद विकसित होने से रोका जा सकता है -

    1. आप अधिक धूप के संपर्क में आने से बचने के लिए 2. टोपी पहनें अथवा छाते का उपयोग करें
    3. धूम्रपान और शराब का सेवन छोड़ दें
    4. आहार में पर्याप्त मात्रा में फल एवं सब्जियों को शामिल करें

    मोतियाबिंद का निदान

    दोस्तों मोतियाबिंद कई अलग-अलग कारणों से विकसित भी हो सकता है, और इसलिए नेत्र विशेषज्ञ सबसे पहले मरीज के लक्षणों की जांच करते हैं एवं उससे लक्षणों से संबंधी कुछ प्रश्न पूछते हैं। व इस दौरान आपको अलग-अलग दूरी से एक चार्ट दिखाया जाता है एवं आपको उसपर लिखे अक्षरों और रंगों की पहचान करने को कहा जाता है। वो इस चार्ट की मदद से यह पता लगाया जाता है कि आपकी नजर कितनी स्पष्ट है। और मोतियाबिंद का पता लगाने के लिए डायलेटेड आई एग्जाम किया जाता है, एवं जिसमें डॉक्टर एक विशेष दवा डालकर प्युपिल को फैला देते हैं एवं फिर माइक्रोस्कोप से जांच करते हैं। और दवा डालने के कुछ घंटों बाद तक प्युपिल फैले हुए रहते हैं एवं इस दौरान रोशनी सहन करने की क्षमता कम हो जाती है। और जब तक प्युपिल सामान्य आकार में नहीं आ जाएं तथा आपको गाड़ी चलाने अथवा अन्य कोई मशीन ऑपरेट करने की सलाह भी नहीं दी जाती है।


    मोतियाबिंद के कारण

    दोस्तों बढ़ती उम्र मोतियाबिंद के सबसे प्रमुख कारणों में से एक है, क्योंकि इसमें आंख का लेंस सख्त होकर धुंधला पड़ने लग जाता है। एवं 40 साल की उम्र के बाद आंख में मौजूद प्रोटीन के गुच्छे भी बनने लगते है, और जो लेंस में धुंधलापन का कारण बनते हैं। व 65 से 74 साल की उम्र के लोगों में 20 प्रतिशत एवं जिनकी उम्र 74 ऊपर है उनमें 50 प्रतिशत लोग मोतियाबिंद से ग्रसित हो जाते हैं। और इसके अलावा मोतियाबिंद के कुछ अन्य कारण हैं, जिनमें प्रमुख रूप से निम्न शामिल हैं -

    (1) आंख में चोट लग जाना
    (2) संक्रमण
    (3) रेडिएशन के संपर्क में आना
    (4) डायबिटीज
     और वहीं कुछ दुर्लभ मामलों में कुछ बच्चों को जन्म से मोतियाबिंद होता है। एवं मोतियाबिंद के जोखिम कारक मोतियाबिंद से प्रमुख जोखिम कारकों में निम्न शामिल हैं -
    (1) धूम्रपान करना
    (2) शराब का अधिक सेवन करना
    (3) परिवार में पहले किसी को मोतियाबिंद होना
     (4) धूप के संपर्क में अधिक आना
    (5) अधिक स्टेरॉयड दवाएं लेना
    (6) स्क्रीझोफ्रेनिया अथवा बाइपोलर डिसऑर्डर की दवाएं लेना
    (7) ट्रैंक्विलाइज़र अथवा डाईयूरेटिक दवाएं लेना
    (8) शरीर के अंदर पोषक तत्वों की कमी होना
    (9) अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में रहना

    मोतियाबिंद का इलाज

    दोस्तों मोतियाबिंद का इलाज करने अथवा उसके लक्षणों को कम करने के लिए अभी तक कोई ऐसी दवा नहीं बनी है एवं इससे हुए धुंधलेपन को हटाने का सर्जरी एकमात्र तरीका है। और लेंस का धुंधलापन दूर करने के लिए कई सर्जिकल प्रक्रियाएं उपलब्ध हैं एवं अनेक पहलुओं पर विचार करके सर्जन इनमें से कोई एक प्रोसीजर चुनते हैं। और ये सर्जरी कुछ इस प्रकार हैं -

    1. इंट्राकैप्सूलर कैटरैक्ट सर्जरी -

    दोस्तों इसमें सर्जरी की मदद से पूरे लेंस को हटा दिया जाता है। हालांकि, और अब यह सर्जरी नहीं की जाती है।
    एक्सट्राकैप्सूलर कैटरैक्ट सर्जरी - 
    दोस्तों इसमें लेंस के पिछले हिस्से को छोड़ दिया जाता है, ताकि और वह इंट्राऑकुलर लेंस को सहारा प्रदान कर सके।


    2. फैकोएमूलसिफिकेशन -

    दोस्तों इसमें आंख में 2 एमएम का छोटा चीरा लगाया जाता है एवं उसकी मदद से लेंस का धुंधलापन हटा दिया जाता है।


    3. मोनो-फोकल - 

    दोस्तों इस सर्जरी प्रोसीजर को अधिकतर मामलों के लिए नियमित रूप से उपयोग भी किया जाता है। और यह ज्यादातर मामलों में दूरदृष्टि दोष का इलाज करता है एवं कुछ मामलों में निकट दृष्टि दोष के लक्षणों को इससे कम किया जा सकता है।

    4. मल्टीफोकल -

    दोस्तों इस प्रोसीजर की मदद से निकट और दूरदृष्टि दोष दोनों का इलाज किया जा सकता है। हालांकि और यह प्रक्रिया सभी मरीजों के लिए उचित नहीं होती है।


    5. टोरिक आईओएल - 

    दोस्तों इस प्रोसीजर की मदद से दृष्टिवैषम्य जैसी समस्याओं का इलाज भी किया जा सकता है।

    6. मल्टीफोकल टोरिक आईओएल -

     और यह हाल ही में तैयार की गई एक नई तकनीक है जिसकी मदद से दृष्टिवैष्मय, निकट दृष्टि दोष एवं दूरदृष्टि दोष आदि का इलाज किया जा सकता है।

    मोतियाबिंद की जटिलताएं

    दोस्तों यदि मोतियाबिंद का समय पर इलाज नहीं किया जाए तो लेंस का धुंधलापन एवं गंभीर हो सकता है एवं मरीज की दृष्टि पूरी तरह से प्रभावित हो सकती है। और इसके अलावा मोतियाबिंद से निम्न जटिलताएं हो सकती हैं -

    1.बार-बार चश्मे का नंबर बढ़ना
    2.रात को गाड़ी नहीं चला पाना
    3.बारीक काम नहीं कर पाना
    4.ग्लूकोमा
    5.आंख के अंदर सूजन आना
    6.आंख के अंदर स्थायी रूप से क्षति होना

    मोतियाबिंद को कम करने के घरेलू उपाय :

    दोस्तों मोतियाबिंद का इलाज सर्जरी के द्वारा किया जा सकता है, और लेकिन इसके जोखिम को कम करने के लिए कुछ घरेलू नुस्खों का उपयोग भी कर सकते हैं। और हम मोतियाबिंद के घरेलू उपचार बताते हैं, जो इस प्रकार हैं :


    1. लहसुन

    सामग्री:

     एक से दो लहसुन की कलियां

    उपयोग का तरीका :

    आप एक अथवा दो लहसुन की कलियों को चबाएं।
    और अपने पसंदीदा व्यंजनों में भी लहसुन को शामिल कर सकते हैं।

    कब करें सेवन :

    दोस्तों राेज एक अथवा दो बार इसका सेवन कर सकते हैं।

    कैसे है फायदेमंद :

    दोस्तों मोतियाबिंद की समस्या में लहसुन का उपयोग लाभकारी हो सकता है।और दरअसल, लहसुन में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। एवं यह आंखों में ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस के कारण होने वाले प्रभाव को भी कम कर मोतियाबिंद को रोकने में मदद कर सकते हैं 

    2. नींबू का रस

    सामग्री :

    आधा चम्मच नींबू का रस
    1 चम्मच पानी
    कॉटन बॉल

    उपयोग करने का तरीका :

    दोस्तों नींबू के रस को एक चम्मच पानी के साथ मिलाएं।
    एवं फिर इसमें कॉटन बॉल को भिगोएं।
    उसके बाद बंद पलकों के ऊपर कॉटन बॉल रखिए एवं उसे लगभग 20 मिनट तक रहने दीजिए।
    फिर कॉटन को हटाएं और सादे पानी से अपनी आंखें को धो लें।


    कब उपयोग करें :

    आप दिन में एक बार इसका उपयोग कर सकते हैं।

    कैसे है फायदेमंद :

    दोस्तों मोतियाबिंद में नींबू का इस्तेमाल लाभकारी माना गया है। और इसमें साइट्रिक एसिड की मौजूदगी के कारण इसका नियमित उपयोग आंखों में जलन एवं अन्य लक्षणों को शांत करने में भी मदद कर सकता है। और इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, एवं जो मोतियाबिंद को कम करने में भी मदद कर सकते हैं 

    3. ग्रीन टी

    सामग्री :

    1 चम्मच ग्रीन टी
    . 1 कप पानी

    उपयोग का तरीका :

    आप एक कप पानी में एक चम्मच ग्रीन टी मिलाएं और उबाल लें।
    एवं इसे पीने से पहले इस चाय को थोड़ा गुनगुना होने दें।
    कब उपयोग करें :
    आप ग्रीन टी को रोजाना दो बार पी सकते हैं।

    कैसे है फायदेमंद :

    दोस्तों ग्रीन टी के फायदे मोतियाबिंद की समस्या में देखे गए हैं। एवं ग्रीन टी में ईजीसीजी नामक तत्व होता है, और जो आंखों के लेंस को खराब होने से बचाने एवं मोतियाबिंद को कम करने में मदद कर सकता है

    3. शहद

    सामग्री :

    एक चम्मच शहद
    दो चम्मच पानी

    उपयोग करने का तरीका :

    शहद को पानी के साथ मिलाएं।
    एवं इसको फ्रिज में स्टोर कर सकते हैं।
    आई ड्राप की मदद से इसकी 1-2 बूंद आंखों में भी डाल सकते हैं।
     नियमित रूप से एक चम्मच शहद का सेवन कर सकते हैं।

    कब उपयोग करें :

    दोस्तों ऐसा रोजाना एक बार कर सकते हैं।

    कैसे है फायदेमंद :

    दोस्तों शहद के फायदे कई बीमारियों में देखे गए हैं। और शहद में एंटी बैक्टीरियल और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। एवं ये दोनों प्रभाव आंखों के लेंस में आई खराबी को ठीक करने में भी मदद कर सकते हैं। व साथ ही भविष्य में आंखों को होने वाली किसी प्रकार की क्षति से सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं और हालांकि, आंख में शहद का इस्तेमाल करने से पहले एक बार चिकित्सक से परामर्श जरूर लीजिए।


    4. विटामिन

    दोस्तों विटामिन ई, विटामिन सी, विटामिन ए और विटामिन बी एंटीऑक्सीडेंट से समृद्ध होते हैं। एवं ये मोतियाबिंद से आंखों की सुरक्षा करने में भी कारगर हो सकते हैं। और इन विटामिन से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन आंखों के कई रोगों को दूर कर सकता है। व इस खाद्य पदार्थों में खट्टे फल, हरी पत्तेदार सब्जियां, दूध, पनीर, अंडे, एवोकाडो एवं बादाम शामिल हैं और अगर आंखों के लिए विटामिन्स के सप्लीमेंट लेना चाहते हैं आप पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लीजिए।

    5. गाजर का रस


    सामग्री :

    एक गिलास गाजर का रस

    उपयोग का तरीका :

    आप गाजर के रस का सेवन करें।

    कब करें उपयोग :

    आप गाजर रस का सेवन रोजाना कर सकते हैं।

    कैसे है फायदेमंद :

    दोस्तों गाजर का रस भी मोतियाबिंद के जोखिम से बचाव भी कर सकता है। और दरअसल, यह ल्यूटिन एवं जेक्सैंथिन दो प्रकार के डाइरटी कैरोटीनॉयड का अच्छा स्रोत होता है। तथा ये कैरोटीनॉयड मानव की आंखों के लेंस में पाए जाते हैं। और इसके साथ एक रिसर्च के अनुसार मोतियाबिंद की रोकथाम में ये दोनों कैरोटीनॉयड फायदेमंद भी हो सकते हैं। और इसके साथ इनमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट ऑक्सीडेटिव क्षति को कम कर इसके कारण होने वाले मोतियाबिंद के प्रभाव को कम कर सकता है 


    6. बादाम


    सामग्री :

    5 से 6 बादाम

    उपयोग का तरीका :

    आप बादाम को एक कटोरी पानी में डालकर रात भर के लिए रख दीजिए।
    और दूसरे दिन भीगे हुए बादाम के छिलके उतारकर सेवन करें।

    कब करें उपयोग :

    दोस्तों इसका सेवन रोजाना कर सकते हैं।

    कैसे है फायदेमंद :

    दोस्तों मोतियाबिंद की समस्या में बादाम का उपयोग फायदेमंद माना गया है। और शोध के अनुसार, बादाम में कोएंजाइम नामक विटामिन भी पाया जाता है। और कोएंजाइम Q10 मोतियाबिंद का कारण बनने वाले लेंस एपिथेलियल सेल एपोप्टोसिस से बचाव करने में मदद भी कर सकता है। और इस तरह बादाम आंखों की देखभाल के साथ मोतियाबिंद से बचाव करने में सहायक हो सकता है

    7. पालक

     

    सामग्री :

    15 से 16 पत्ते पालक

    उपयोग का तरीका :

    आप जूसर में पालक के पत्ते डालकर जूस निकाल लें।

    कब उपयोग करें :

    आप रोजाना एक गिलास पालक के जूस का सेवन भी कर सकते हैं।

    कैसे है फायदेमंद :

    आप पालक का सेवन मोतियाबिंद की समस्या में लाभकारी हो सकता है। और दरअसल, इसमें ल्यूटिन एवं जेक्सैंथिन नामक कैरोटीनॉयड पाए जाते हैं। और जैसा कि हमने पहले की बताया है कि आंखों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक घटकों के रूप में ल्यूटिन एवं जेक्सैंथिन महत्वपूर्ण हैं। तथा ये दोनों कैरोटीनॉयड आंखों के स्वास्थ्य को बढ़ाने के साथ मोतियाबिंद से आंखों की रक्षा करने में कारगर हो सकते हैं।


    8. अरंडी का तेल

     सामग्री :

    अरंडी के तेल की 1-2 बूंदें

    उपयोग का तरीका :

    आप रात को अरंडी के तेल की एक बूंद को आंखों में डाल कर सो जाएं।

    कब करें उपयोग :

    दोस्तों ऐसा 1 महीने तक रोजाना करें।

    कैसे है फायदेमंद : 

    आप अरंडी के तेल में शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट गुण होता है और यह आपकी आंखों को होने वाले ऑक्सीडेटिव क्षति को ठीक करने में भी मदद कर सकता है, औरजिसका सकारात्मक प्रभाव मोतियाबिंद के खतरे को कम करने में भी मदद कर सकता है एवं हालांकि, इस विषय में अभी एवं शोध किए जाने की आवश्यकता है। और आंखों के लिए अरंडी के तेल का इस्तेमाल करने से भी पहले नेत्र विशेषज्ञ से परामर्श लें।

    9. सेब का सिरका

     सामग्री :

    1 बड़ा चम्मच सेब का सिरका
    1 गिलास गर्म पानी
    1 बड़ा चम्मच शहद

    उपयोग का तरीका :

    आप एक गिलास गर्म पानी में एक चम्मच शहद एवं सेब का सिरका मिलाएं।
    और अच्छी तरह से मिल जाने पर इसका सेवन करें।
    आप पानी की बजाय गाजर के रस का उपयोग कर सकते हैं।

    कब करें उपयोग :

    आप सेब के सिरके से प्राप्त इस ड्रिंक को रोजाना एक बार ले सकते हैं।

    कैसे है फायदेमंद :

    आप सेब का सिरका एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होता है, और जो आंखों के स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है। एवं सेब के सिरके का नियमित सेवन क्षतिग्रस्त आंखों के लेंस की मरम्मत में मदद कर सकता है। और साथ ही यह मोतियाबिंद के जोखिम को काफी हद तक कम कर सकता है एवं वहीं, शहद तथा गाजर से आंखों को होने वाले फायदे के बारे में लेख में पहले ही हम बता चुके है।

    10. एसेंशियल ऑयल


    सामग्री :

    हल्दी के तेल की 1-2 बूंदें

    उपयोग का तरीका :

    आप हल्दी के तेल की एक या दो बूंद लें एवं इसे अपनी हथेलियों पर लेकर रगड़ें।
    और इसे बंद आंखों पर लगाएं एवं कुछ मिनटों के लिए ऐसे ही छोड़ दें।
    एवं इसके बाद आंखों को सादे पानी से धो लें।

    कब करें उपयोग :

    आप ऐसा रोजाना 1 से 2 बार कर सकते हैं।

    कैसे है फायदेमंद :

    दोस्तों हल्दी के तेल में एंटीऑक्सीडेंट एवं एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, और जो मोतियाबिंद के इलाज में सहायक हो सकते हैं। व यह तेल आंखों को ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस से बचाने में भी मदद कर सकता है। और साथ ही आंखों की रोशनी को बेहतर बनाने व मोतियाबिंद के जोखिम को कम करने में भी सहायक हो सकता है और यहां हम कह सकते हैं कि हल्दी का उपयोग भी मोतियाबिंद में भी मददगार हो सकता है।

    11. एलोवेरा


     सामग्री :

     1 बड़ा चम्मच एलोवेरा जेल

    उपयोग का तरीका :

    आप ताजे एलोवेरा जेल को कुछ देर के लिए फ्रिज में रख दें
    और जब यह ठंडा हो जाए, तो इसे बंद पलकों पर लगाएं।
    अब इसे 15 से 20 मिनट के लिए ऐसा ही छोड़ दें
     एवं बाद में पानी से धो लें।

    कब करें उपयोग :

    दोस्तों इसे रोजाना उपयोग किया जा सकता है।
    और इसके अलावा पत्तों के रस की एक-एक बूंद दिन में दो बार आई ड्रॉप के रूप में प्रयोग की जा सकती है।

    कैसे है फायदेमंद :

    आप मोतियाबिंद की समस्या में एलोवेरा का इस्तेमाल लाभकारी हो सकता है। और एक शोध में साफ तौर से इस बात का जिक्र मिलता है कि एलोवेरा में मौजूद एंथ्रेकविनोनस ,एलो-इमोडिन एवं क्राइसोफेनॉल नामक कंपाउंड के कारण इसका उपयोग भी मोतियाबिंद के इलाज के लिए किया जा सकता हैं 


    12. नारियल पानी

     सामग्री :

    नारियल पानी

    उपयोग का तरीका :

    आप राेजाना नारियल पानी का सेवन करें।

    कब करें उपयोग :

    आप नारियल पानी का सेवन रोजाना एक बार कर सकते हैं।

    कैसे है फायदेमंद :

    दोस्तों माना जाता है कि नारियल पानी का इस्तेमाल मोतियाबिंद के लिए कारगर इलाज हो सकता है। और इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व आंखों को तुरंत पोषण प्रदान कर सकते हैं। वो यह आंखों के लेंस को पोषण देने के साथ ही तेजी से ठीक करने में मदद कर सकता है। और लेंस को पोषण देने से यह न्यूक्लियर मोतियाबिंद को दूर करने में भी कारगर हो सकता है 

    निष्कर्ष : 

    दिए गए लेख में बताया गया है कि मोतियाबिंद  एवं उसके लक्षण , मोतियाबिंद के घरेलू उपाय के बारे में कुछ सुझाव दिए गए हैं ये सिर्फ एक सुझाव है हम इनकी पुष्टि नहीं करते हैं ज्यादा जानकारी के लिए आप नजदीकी चिकित्सक से परामर्श लें।

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